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बेगम सुल्तान जहाँ : भारतीय विरासत एवं संस्कृति

 

बेगम सुल्तान जहाँ : भारतीय विरासत एवं संस्कृति


बेगम सुल्तान जहाँ : भारतीय विरासत एवं संस्कृति


हाल ही में बेगम सुल्तान जहाँ की पुण्यतिथि मनाई गई।

  • वह एक परोपकारी, विपुल लेखिका, नारीवादी तथा महिला सशक्तीकरण का प्रतीक होने के साथ ही  अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की प्रथम महिला चांसलर भी थीं।

प्रमुख बिंदु -

  • जन्म:  9 जुलाई, 1858 (भोपाल)।

भोपाल  की शासक :

  • वह भोपाल की आखिरी बेगम थीं। उन्होंने वर्ष 1909 से 1926 तक शासन किया, जिसके बाद उनका पुत्र उत्तराधिकारी बना।
    • वह भोपाल की चौथी बेगम (महिला शासक) थीं।
  • उन्होंने नगर पालिका प्रणाली की स्थापना की, नगरपालिका चुनावों की शुरुआत की और अपने लिये एक किलेबंद शहर तथा एक महल का निर्माण करवाया।
  • किलेबंद शहर में उन्होंने सार्वजनिक स्वास्थ्य, स्वच्छता और जल की आपूर्ति में सुधार हेतु कदम उठाए तथा इस शहर के निवासियों के लिये व्यापक टीकाकरण अभियान लागू किया।

नारीवाद  का प्रतीक :

  • उन्होंने एक ऐसे समय में महिलाओं के लिये प्रगतिशील नीतियों की शुरुआत की, जब महिलाएँ पितृसत्तात्मक व्यवस्थाओं के अधीन थी। इसके चलते आज भी उन्हें नारीवाद का प्रतीक माना जाता है।
  • वर्ष 1913 में उन्होंने लाहौर में महिलाओं के लिये एक मीटिंग हॉल (Meeting Hall for Ladies) का निर्माण करवाया।
  • महिलाओं को प्रोत्साहित करने और हस्तशिल्प को बढ़ावा देने के लिये उन्होंने भोपाल में 'नुमाइश मस्नुआत ए हिंद' (Numaish Masunuaat e Hind) नामक प्रदर्शनी का आयोजन किया।

परोपकारी :

  • ज़रूरतमंद छात्रों की मदद के लिये उन्होंने तीन लाख रुपए की निधि के साथ ‘सुल्तान जहाँ एंडोमेंट ट्रस्ट’ (Sultan Jahan Endowment Trust) की स्थापना की।
  • उन्होंने देवबंद (उत्तर प्रदेश) में एक मदरसा, लखनऊ में नदवतुल उलूम और यहाँ तक कि मक्का, सऊदी अरब में मदरसा सुल्तानिया को भी निधि/वित्त प्रदान किया।
  • लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, दिल्ली जैसे संस्थानों और बॉम्बे और कलकत्ता के कुछ प्रसिद्ध कॉलेजों ने उनसे प्रचुर अनुदान प्राप्त किया।

शिक्षाविद्: 

  • उन्होंने 41 किताबें लिखीं तथा अंग्रेज़ी भाषा की कई पुस्तकों का उर्दू में अनुवाद किया।
  • उनके द्वारा लिखी गई दर्स-ए-हयात (Dars-e-Hayat) नामक पुस्तक में युवा लड़कियों की शिक्षा और पालन-पोषण के बारे में बताया गया है।
  • उन्होंने स्वयं शुरू किये गए सुल्तानिया स्कूल में पाठ्यक्रम को नया रूप दिया और अंग्रेज़ी, उर्दू, अंकगणित, गृह विज्ञान तथा शिल्प जैसे विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल किया।
  • उन्होंने लेडी मिंटो नर्सिंग स्कूल (Lady Minto Nursing School) नाम से एक नर्सिंग स्कूल भी शुरू किया।
  • वह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) की पहली महिला कुलाधिपति थीं।
    • दिसंबर 2020 में AMU के शताब्दी समारोह के दौरान, प्रधानमंत्री द्वारा बेगम सुल्तान जहाँ तथा इस ऐतिहासिक संस्थान में उनके योगदान को श्रद्धांजलि दी गई थी।
मृत्यु : 

1926 में, 25 साल के शासनकाल के बाद, सुल्तान जहां बेगम ने अपने सबसे छोटे बच्चे और केवल जीवित बेटे, हमीदुल्ला खान के पक्ष में सिंहासन छोड़ दिया। वह चार साल बाद, 71 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गई।



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