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भारत में मानव तस्करी के आयाम

 भारत में  मानव तस्करी के आयाम

भारत में  मानव तस्करी के आयाम


हाल ही में पंजाब में मानव तस्करी तथा बंधुवा मजदूरी को लेकर हुए विवाद में माननीय उच्चतम न्यायालय ने बंधुवा मजदूरी को परिभाषित किया है।

संदर्भ :

  • हाल ही में मानव तस्करी तथा बंधुवा मजदूरी के मामले में एक विवाद प्रस्तुत हुआ है। गृह मंत्रालय द्वारा पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्रो में मानव तस्करी से सम्बंधित दिए गए एक एडवाईजरी दी गई।
  • इस एडवाईजरी के सन्दर्भ में एक अफवाह ने जन्म लिया कि गृह मंत्रालय ने मानव तस्करी के लिए पंजाब के किसानो को उत्तरदायी बताया है, हालाँकि गृह मंत्रालय ने इस पर स्पष्टीकरण दे दिया है।
  • इसी विवाद में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि आवश्यक वेतन से कम वेतन में श्रम के लिए मजबूर करना ही बंधुवा मजदूरी है।
  • वर्ष 2010 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस घृणित अपराध के खिलाफ कार्रवाई करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को प्रोत्साहित करने हेतु "मानव तस्करी से निपटने के लिये वैश्विक योजना" (The Global Plan of Action to Combat Trafficking in Persons) को अपनाया था।

परिभाषा :

संयुक्त राष्ट्र द्वारा दी गई परिभाषा के अनुसार, किसी व्यक्ति को डराकर, बलपूर्वक या दोषपूर्ण तरीके से कोई कार्य करवाना, एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने या बंधक बनाकर रखने जैसे कृत्य तस्करी की श्रेणी में आते हैं।

मानव तस्करी : एक परिचय -

  • मानव तस्करी हिंसा, धोखे या जबरदस्ती के जरिए लोगों को फंसाने और वित्तीय या व्यक्तिगत लाभ के लिए उनका शोषण करने की प्रक्रिया है।
  • ट्रैफिकिंग में लड़कियों को यौन शोषण के लिए मजबूर किया जाता है। इसके साथ ही साथ व्यक्तियों को जोखिम भरे काम के प्रस्ताव को स्वीकार करने और निर्माण स्थलों, खेतों या कारखानों में काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। महिलाओं को निजी घरों में काम करने के लिए भर्ती किया जाता है। भारत के सीमावर्ती क्षेत्रो में यह एक आम समस्या है।
  • यौन शोषण, जबरन श्रम, भिक्षावृत्ति को बढ़ावा, अपराध (जैसे - बढ़ती भांग या ड्रग्स से निपटने), घरेलू दासता, विवाह या अंग हटाना इत्यादि मानव तस्करी के परिणाम है।

मानव तस्करी के विविध तथ्य :-

ड्रग्स एंड क्राइम के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC) द्वारा अनुमान के अनुसार :-

तस्करी से सर्वाधिक पीड़ित वर्ग महिलाऐं हैं। विश्व में 51% तस्करी पीड़ित व्यक्तियों में महिलाऐं होती हैं। 28 % बच्चे तथा 21% पुरुष मानव तस्करी का शिकार हैं। जबकि तस्करी में 63% पुरुष तथा 37 % महिलाऐं सम्मिलित हैं। सेक्स उद्योग में शोषित 72% महिलाएं हैं। 43% पीड़ित राष्ट्रीय सीमाओं के भीतर हैं।

भारत में मानव तस्करी से संबंधित संवैधानिक और विधायी प्रावधान :

  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 गरिमामय जीवन की अवधारणा पर ध्यान देता है।
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 23 (1) के अंतर्गत मानव बलात श्रम तथा ,व्यक्तियों में तस्करी को निषेध करता है
  • अनैतिक ट्रैफिक (रोकथाम) अधिनियम, 1956 (ITPA) व्यावसायिक यौन शोषण के लिए तस्करी की रोकथाम के लिए प्रमुख कानून है।
  • आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम 2013 में भारतीय दंड संहिता की धारा 370 को धारा 370 और 370A आईपीसी के साथ प्रतिस्थापित किया गया है, जो मानव तस्करी से बचाव के लिए व्यापक उपाय मुहैया कराती है
  • महिलाओं और बच्चों में तस्करी से संबंधित अन्य विशिष्ट कानून हैं, बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006, बंधुआ श्रम प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम, 1976, बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986, मानव संगठन अधिनियम, 1994 का उल्लंघन।
  • राज्य सरकारों ने इस मुद्दे से निपटने के लिए विशिष्ट कानून भी बनाए हैं। (उदाहरण - पंजाब प्रीवेंशन ऑफ ह्यूमन स्मगलिंग एक्ट, 2012)
  • भारत सरकार चार ‘पी’ मॉडल प्रॉसीक्यूशन (अभियोजन), प्रोटेक्शन (सुरक्षा), प्रिवेंशन (रोकथाम) और पार्टनर्शिप (भागीदारी) के जरिये मानव तस्करी से लड़ने की योजना पर कार्य कर रही है।

राष्‍ट्रीय अपराध रिकाॅर्ड ब्‍यूरो का गठन, जनवरी, 1986 में निम्‍नलिखित उद्देश्‍य की पूर्ति हेतु किया गया:

  • अपराध एवं अपराधियों की सूचना रखना, जिसमें राष्‍ट्रीय एवं अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर सक्रिय अपराध एवं अपराधियों पर सूचना भी शामिल है।
  • राष्‍ट्रीय स्‍तर पर अपराध के आंकड़ों का संग्रह एवं संसाधन करना।
  • अपराधियों के पुनर्वास, उनकी रिमांड, पैरोल, समय से पहले रिहाई आदि कार्यों के लिये दंड संस्‍थाओं से डाटा प्राप्त करना एवं आपूर्ति कराना।
  • राज्‍य अपराध रिकार्ड ब्‍यूरो की कार्य प्रणाली का समन्‍वयन, मार्गदर्शन एवं उसे सहायता करना।
  • अपराध रिकाॅर्ड ब्यूरो के कार्मिकों को प्रशिक्षण सुविधाएँ प्रदान करना एवं अपराध रिकार्ड ब्यूरो का मूल्‍यांकन, विकास एवं आधुनिकीकरण करना।
  • केंद्रीय पुलिस संगठनों के लिये कार्यकारिणी एवं कंप्यूटर आधारित प्रणाली को विकसित करना एवं कंप्‍यूटरीकरण के लिये उनके डेटा संसाधन एवं प्रशिक्षण हेतु सुविधाएँ प्रदान करना।
  • विदेशी अपराधियों के फिंगर प्रिंट रिकार्ड जिसमें दोष-सिद्ध व्‍यक्तियों के फिंगर प्रिंट रिकार्ड भी शामिल हैं, के राष्‍ट्रीय संग्राहक के रुप में कार्य करना।
  • फिंगर प्रिंट के द्वारा अंतर-राज्‍यीय अपराधियों को खोजने में सहायता करना।
  • फिंगर प्रिंट एवं फुट प्रिंट से संबंधित मामलों पर केंद्रीय एवं राज्‍य सरकारों को सलाह देना, फिंगर प्रिंट विशेषज्ञों के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करना।

मानव तस्करी के कारण :

  • गरीबी और अशिक्षा,
  • बंधुआ मज़दूरी,
  • देह व्यापार,
  • सामाजिक असमानता,
  • क्षेत्रीय लैंगिक असंतुलन,
  • बेहतर जीवन की लालसा,
  • सामाजिक सुरक्षा की चिंता,
  • महानगरों में घरेलू कामों के लिये लड़कियों की तस्करी,
  • चाइल्ड पोर्नोग्राफी के लिये बच्चों की तस्करी। 

भारत में  मानव तस्करी के आयाम

भारत सरकार द्वारा किये मानव तस्करी से निदान में किये गए उपाय :-

मानव तस्करी के खतरे से निपटने के लिए, गृह मंत्रालय, भारत सरकार ने कई उपाय किए हैं:

प्रशासनिक उपाय :-

एंटी ट्रैफिकिंग सेल (एटीसी) :

  • विभिन्न फैसलों को संप्रेषित करने और राज्य सरकारों द्वारा की गई कार्रवाई का पालन करने के लिए केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय (एमएचए) (2006 में सीएस डिवीजन) में एंटी-ट्रैफिकिंग नोडल सेल की स्थापना की गई थी।
  • गृह मंत्रालय मानव तस्करी की समस्या को हल करने के उद्देश्य से सभी राज्यों / संघ शासित प्रदेशों में नामित मानव विरोधी तस्करी इकाइयों के नोडल अधिकारियों के साथ समन्वय बैठकें आयोजित करता है।

गृह मंत्रालय की योजना :

  • मानव तस्करी के अपराध से निपटने और कानून प्रवर्तन मशीनरी की जवाबदेही बढ़ाने के लिए प्रभावशीलता में सुधार के लिए, गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों को व्यापक एडवाइजरी जारी की है। ये एडवाइजरी / SOP गृह मंत्रालय के वेब पोर्टल पर एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग www.stophumantrafficking-mha.nic.in पर उपलब्ध हैं।
  • एक व्यापक योजना के तहत गृह मंत्रालय ने भारत में प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के माध्यम से व्यक्तियों की तस्करी के खिलाफ कानून प्रवर्तन प्रतिक्रिया में देश के 270 जिलों में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग इकाइयों की स्थापना के लिए फंड जारी किया है।

क्षमता निर्माण को सुदृढ़ करना :

    • कानून प्रवर्तन एजेंसियों की क्षमता निर्माण को बढ़ाने और उनमें जागरूकता पैदा करने के लिए, क्षेत्रीय स्तर, राज्य स्तर और जिला स्तर सिविल अधिकारियों में पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाता है।
  •     न्यायिक कार्य :

    • ट्रायल कोर्ट के न्यायिक अधिकारियों को प्रशिक्षित करने और संवेदनशील बनाने के लिए, मानव तस्करी पर न्यायिक बोलचाल में उच्च न्यायालय स्तर पर सुनवाई होती है। उद्देश्य मानव तस्करी से संबंधित विभिन्न मुद्दों के बारे में न्यायिक अधिकारियों को संवेदनशील बनाना और त्वरित अदालती प्रक्रिया सुनिश्चित करना है।
    • अब तक, ग्यारह न्यायिक बोलचाल चंडीगढ़, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और ओडिशा में आयोजित किए जा चुके हैं।
  • मानव तस्करी (रोकथाम, संरक्षण और पुनर्वास) विधेयक, 2018 :

    यह विधयेक सभी प्रकार की मानव तस्करी की जाँच, उसके निवारण, संरक्षण और तस्करी के पीड़ितों के पुनर्वास के लिये कानून बनाता है।

    विधयेक ज़िला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर जाँच तथा पुनर्वास समितियों की स्थापना करता है। पीड़ितों को छुड़ाने और मानव तस्करी के मामलों की जाँच करने के लिये एंटी ट्रैफिकिंग यूनिट्स की स्थापना की जाएगी। पुनर्वास समितियाँ छुड़ाए गए पीड़ितों की देखभाल और पुनर्वास करेंगी।

    विधयेक कुछ उद्देश्यों के लिये की गई तस्करी को तस्करी के ‘गंभीर’ (एग्रेवेटेड) प्रकार मानता है। इनमें बलात श्रम करवाने, बच्चे पैदा करने, भीख मंगवाने के लिये तस्करी करना शामिल है। साथ ही अगर किसी व्यक्ति में जल्दी यौन परिपक्वता (सेक्सुअल मेच्योरिटी) लाने के लिये उसकी तस्करी की जाती है, तो ऐसा मामला भी गंभीर मामला माना जाएगा। गंभीर तस्करी के मामले में अधिक कठोर दंड दिया जाएगा।

    विधयेक तस्करी से संबंधित अनेक अपराधों के लिये सज़ा का प्रावधान करता है। अधिकतर मामलों में मौजूदा कानूनों के अंतर्गत दी जाने वाली सज़ा से अधिक सज़ा निर्धारित की गई है।

  • भारत ने तस्करी पर अंतर्राष्ट्रीय अभिसमयों को कैसे लागू किया है?

    संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन :

    • भारत ने संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन ऑन ट्रांसनैशनल ऑर्गनाइज्ड क्राइम (UNCTOC) की पुष्टि की है, जो कि विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों में तस्करी की रोकथाम, दमन और सजा के रूप में है।
    • कन्वेंशन को लागू करने के लिए और प्रोटोकॉल के अनुसार विभिन्न कार्रवाइयाँ की गई हैं, एक Law Criminal Law Amendment Act, 2013 लागू किया गया है, जिसमें मानव तस्करी को विशेष रूप से परिभाषित किया गया है।

    SAARC कन्वेंशन :

    • भारत ने वेश्यावृत्ति के लिए महिलाओं और बच्चों में तस्करी की रोकथाम और संयोजन पर SAARC कन्वेंशन की पुष्टि की है। सार्क सम्मेलन को लागू करने के लिए एक क्षेत्रीय कार्यबल का गठन किया गया।

    द्विपक्षीय तंत्र :

    • सीमा पार से होने वाली तस्करी से निपटने के लिए और तस्करी की रोकथाम, शिकार की पहचान और प्रत्यावर्तन से संबंधित विभिन्न मुद्दों के समाधान के लिए और भारत और बांग्लादेश के बीच प्रक्रिया को शीघ्र और पीड़ित-अनुकूल बनाने के लिए, भारत और बांग्लादेश की एक टास्क फोर्स का गठन किया गया।
    • भारत और बांग्लादेश के बीच महिलाओं और बच्चों में मानव तस्करी की रोकथाम के लिए द्विपक्षीय सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन (एमओयू), बचाव, वसूली, प्रत्यावर्तन और तस्करी के पीड़ितों के पुन: एकीकरण पर जून, 2015 में हस्ताक्षर किए गए थे।
  • संयुक्‍त राष्‍ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय :

    (United Nation Office on Drug and Crime- UNODC)

    • UNODC की स्‍थापना 1997 में संयुक्‍त राष्‍ट्र मादक पदार्थ नियंत्रण कार्यक्रम और अंतर्राष्‍ट्रीय अपराध रोकथाम केन्‍द्र को मिलाकर संयुक्‍त राष्‍ट्र सुधारों के तहत‍ की गई थी।
    • कई समझौतों की मदद से UNODC सदस्‍य देशों को अवैध मादक पदार्थों, अपराध एवं आतंकवाद के मुद्दों का समाधान देने में मदद करता है।
    • UNODC का दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय कार्यालय नई दिल्‍ली, भारत में स्थित है।

    फोकस के क्षेत्र :

    • मादक पदार्थों के सेवन की रोकथाम।
    • उपचार और देखभाल।
    • मादक पदार्थों का सेवन करने वालों और कैदियों के बीच एचआईवी की रोकथाम।
    • मानव तस्‍करी रोकथाम।
    • ड्रग लॉ इनफोर्समैंट एंड प्रीकर्सर कंट्रोल।
    • भ्रष्‍टाचार नियंत्रण।

    आगे की राह :

    मानव तस्करी की सबसे प्रमुख समस्या यहाँ है, कि इसमें मानव को वस्तु के समान समझा जाता है, तथा इससे मानवीय गरिमा का हनन होता है। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में इसका प्रचलन एक नकारात्मक सन्देश देता है। इस समस्या को हल करने के लिए यह आवश्यक है, कि भारत के प्रस्तावना में वर्णित सामाजिक, आर्थिक तथा राजनैतिक न्याय के संकल्पना को शीघ्र ही सुनिश्चित किया जाए।


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