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भारतीय राजनीति : स्टार प्रचारक एवं आदर्श आचार संहिता

भारतीय राजनीति : स्टार प्रचारक एवं आदर्श आचार संहिता

 हाल ही में भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India- ECI) ने पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा के नाम को स्टार प्रचारकों की सूची से हटा दिया है।

  • चुनाव के समय टिप्पणी करने के लिये उन्हें आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct- MCC) के उल्लंघन हेतु भी फटकार लगाई गई है।

प्रमुख बिंदु :

स्टार प्रचारक:

  • एक स्टार प्रचारक किसी पार्टी के लिये चुनाव में एक सेलिब्रिटी के तौर पर वोट मांग सकता  है। यह व्यक्ति कोई भी हो सकता है, एक राजनीतिज्ञ या यहाँ तक ​​कि एक फिल्म स्टार भी।
  • स्टार प्रचारक बनाने या न बनाए जाने के संबंध में कोई कानून उपलब्ध नहीं है।
  • वे संबंधित राजनीतिक दलों द्वारा अपने निर्वाचन क्षेत्रों की स्थिति और अवधि को निर्दिष्ट करके नामित किये जाते हैं
  • ECI आदर्श चुनाव आचार संहिता के तहत दिशा-निर्देश जारी करता है ताकि चुनाव अभियान को नियंत्रित किया जा सके।

स्टार प्रचारकों की संख्या :

  • ECI द्वारा किसी मान्यता प्राप्त ’राष्ट्रीय या राज्य स्तरीय दल’ के अधिकतम 40 स्टार प्रचारक नामित किये जा सकते हैं।
  • एक गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल अधिकतम 20 स्टार प्रचारकों को नामित कर सकता है।

स्टार प्रचारकों की आवश्यकता :

  • ECI चुनाव अभियान के दौरान अलग-अलग उम्मीदवारों द्वारा किये गए खर्च पर नज़र रखता है। एक निर्वाचन क्षेत्र में प्रत्येक उम्मीदवार द्वारा किये जाने वाले खर्च की सीमा का निर्धारण निम्नलिखित प्रकार से किया गया है-
लोकसभा चुनाव के लिये- 
  • चुनाव खर्च की अधिकतम सीमा अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होती है। भारत के बड़े राज्यों को छोटे राज्यों की तुलना में अधिक खर्च करने की अनुमति है।
  • लोकसभा चुनाव में एक उम्मीदवार 70 लाख रुपए तक खर्च कर सकता है।
  • बड़े राज्यों जैसे- आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक आदि में व्यय सीमा 70 लाख रुपए है।
  • छोटे राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों जैसे- अरुणाचल प्रदेश, गोवा, सिक्किम, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, चंडीगढ़, दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव, लक्षद्वीप तथा पुदुचेरी में यह व्यय सीमा 54 लाख रुपए है।
  • उल्लेखनीय है कि दिल्ली लोकसभा चुनाव के मामले में भी यह सीमा 70 लाख रुपए है।
विधानसभा चुनाव के लिये :   
  • उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश जैसे बड़े भारतीय राज्यों के विधानसभा चुनावों में खर्च सीमा 28 लाख रुपए है। जबकि छोटे राज्यों जैसे- अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नगालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा और पुदुचेरी के लिये यह सीमा 20 लाख रुपए तय की गई है। 
  • स्टार प्रचारक पर किये गए व्यय को एक उम्मीदवार के चुनाव व्यय में नहीं जोड़ा जाता है, जिससे चुनाव पर किये जाने वाले व्यय को बढ़ाने की अधिक गुंजाइश होती है।
    • हालाँकि एक व्यक्तिगत उम्मीदवार को अभियान के खर्च से राहत पाने के लिये स्टार प्रचारक को पार्टी के सामान्य चुनाव अभियान तक सीमित करना होगा।
  • जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार,  यह खर्च राजनीतिक दलों द्वारा वहन किया जाएगा।

एक स्टार प्रचारक के तौर पर प्रधानमंत्री :

  • MCC दिशा-निर्देशों के अनुसार, जब कोई प्रधानमंत्री या पूर्व प्रधानमंत्री स्टार प्रचारक होता है, तो बुलेट-प्रूफ वाहनों सहित सुरक्षा पर होने वाला खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाएगा और इसे पार्टी या उम्मीदवार के चुनाव खर्चों में नहीं जोड़ा जाएगा।
  • हालाँकि यदि कोई अन्य प्रचारक प्रधानमंत्री के साथ यात्रा करता हैं, तो सुरक्षा व्यवस्था पर किये गए खर्च का 50% उम्मीदवार को वहन करना होगा।

स्टार प्रचारक सूची से हटाने के संबंध में चुनौती :

  • जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 77, जो कि एक उम्मीदवार के चुनाव खर्च से संबंधित है, राजनीतिक पार्टी को नेता तय करने का अधिकार देती है, और हर पार्टी को अपने 'स्टार प्रचारकों' की सूची चुनाव अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करने की अनुमति देती है। 
  • चूँकि स्टार प्रचारकों पर खर्च संबंधित उम्मीदवार के खर्च में शामिल नहीं है, ECI का एक आदेश स्टार प्रचारक की स्थिति को रद्द कर सकता है।

आदर्श आचार संहिता :

  • MCC चुनावों से पहले राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को विनियमित करने के लिये ECI द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का एक समूह है।
  • आदर्श आचार संहिता (MCC), भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 के अनुरूप है, जिसके तहत निर्वाचन आयोग (EC) को संसद तथा राज्य विधानसभाओं में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनावों की निगरानी और संचालन करने की शक्ति दी गई है।
  • प्रवर्तन की अवधि :
    • नियमों के मुताबिक, आदर्श आचार संहिता उस तारीख से लागू हो जाती है, जब निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव की घोषणा की जाती है, और यह चुनाव परिणाम घोषित होने की तारीख तक लागू रहती है।
  • कानूनी स्थिति : MCC वैधानिक नहीं है, लेकिन राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों और मतदान एजेंटों से अपेक्षा की जाती है कि वे चुनाव घोषणा पत्र, भाषणों और जुलूसों की सामग्री से लेकर सामान्य आचरण आदि तक के मानदंडों का पालन करें।
  • भारतीय दंड संहिता 1860, आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 (जैसी विधियों में संबंधित प्रावधानों के माध्यम से MCC के कुछ प्रावधानों को लागू किया जा सकता है।
MCC से संबंधित अनुशंसाएँ :
  • वर्ष 2013 में कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय संबंधी स्थायी समिति ने MCC को कानूनी रूप से बाध्यकारी बनाने की सिफारिश की अर्थात् MCC को RPA 1951 का हिस्सा बनाया जाएगा।
  • वर्ष 2015 में भारतीय विधि आयोग (LCI) की रिपोर्ट 255 में देखा गया कि चूँकि MCC केवल उसी तारीख से परिचालन में रहती है जिस दिन ECI चुनाव की घोषणा करता है, इसलिये सरकार चुनावों की घोषणा से पहले विज्ञापन जारी कर सकती है।
    • रिपोर्ट में सिफारिश की गई कि सदन/विधानसभा की समाप्ति की तारीख से छह महीने पहले तक सरकार द्वारा प्रायोजित विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिये।


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