आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा-51 : शासन व्यवस्था
हाल ही में पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव को गृह मंत्रालय द्वारा आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 (DM Act, 2005) की धारा 51 के तहत कारण बताओ नोटिस दिया गया।
प्रमुख बिंदु :
कारण बताओ नोटिस के संबंध में :
- बंगाल के कलाईकुंडा में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में चक्रवात यास पर समीक्षा बैठक में भाग लेने के लिये केंद्र के निर्देशों का पालन करने में विफल रहने पर यह नोटिस जारी किया गया था।
- यह अधिनियम DM Act, 2005 की धारा 51 (बी) का उल्लंघन है।
- हालाँकि डीओपीटी (कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग) भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारियों का कैडर-नियंत्रण प्राधिकरण है, लेकिन DM Act, 2005 के प्रावधानों के तहत कारण बताओ नोटिस जारी किया गया, जो गृह मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में है।
आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 51 :
- अधिनियम के तहत केंद्र सरकार, राज्य सरकार या राष्ट्रीय कार्यकारी समिति या राज्य कार्यकारी समिति या ज़िला प्राधिकरण द्वारा या उसकी ओर से दिये गए किसी भी निर्देश का पालन करने से इनकार करने हेतु यह धारा “बाधा के लिये दंड” (Punishment for Obstruction) निर्धारित करती है।
- आदेशों का पालन करने से इनकार करने वाले को एक वर्ष तक की कैद या जुर्माना या दोनों की सज़ा हो सकती है। यदि इस इनकार की वजह से लोगों की मृत्यु हो जाती है तो उत्तरदायी व्यक्ति को दो वर्ष तक के कारावास की सजा दी जाएगी।
- अधिनियम की धारा-51 में दो महत्त्वपूर्ण प्रावधान हैं।
- इस अधिनियम के तहत व्यक्ति की ओर से कार्रवाई 'बिना उचित कारण के' और 'किसी अधिकारी द्वारा बिना उचित अनुमति या वैध बहाने के कर्तव्य का पालन करने में विफलता' होनी चाहिये।
DM अधिनियम के प्रावधानों के पूर्ववर्ती उपयोग :
- अप्रैल 2020 में गृह मंत्रालय ने सार्वजनिक रूप से थूकना दंडनीय अपराध बना दिया। DM अधिनियम के तहत मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देश जो राज्यों के लिये बाध्यकारी हैं, ने भी “सार्वजनिक स्थानों पर फेस मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया है।”
- मार्च 2020 में जब देशव्यापी तालाबंदी की अचानक घोषणा के कारण दिल्ली के आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर हज़ारों प्रवासी एकत्र हुए तो दिल्ली सरकार के दो अधिकारियों को केंद्र द्वारा DM अधिनियम के तहत ड्यूटी में लापरवाही के लिये कारण बताओ नोटिस दिया गया।
DM अधिनियम :
- आपदाओं के कुशल प्रबंधन और इससे जुड़े अन्य मामलों के लिये 2005 में भारत सरकार द्वारा DM अधिनियम पारित किया गया था। हालाँकि यह जनवरी 2006 में लागू हुआ।
- वर्ष 2020 में कोविड-19 महामारी के मद्देनज़र देश में पहली बार इसे लागू किया गया था।
- केंद्र ने प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के माध्यम से महामारी के प्रबंधन को सुव्यवस्थित करने के लिये अधिनियम के प्रावधानों को लागू किया, जिला मजिस्ट्रेटों को निर्णय लेने और ऑक्सीजन की आपूर्ति तथा वाहनों की आवाजाही पर अन्य निर्णयों को केंद्रीकृत करने का अधिकार दिया गया।
DM अधिनियम 2005 की मुख्य विशेषताएँ :
- नोडल एजेंसी :
- यह अधिनियम समग्र राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन के संचालन के लिये गृह मंत्रालय को नोडल मंत्रालय के रूप में नामित करता है।
- संस्थागत संरचना : यह राष्ट्रीय, राज्य और ज़िला स्तर पर संस्थानों की एक व्यवस्थित संरचना स्थापित करती है।
- वित्त :
- इसमें वित्तीय तंत्र के प्रावधान शामिल हैं, जैसे कि आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिये धन की व्यवस्था, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष तथा राज्य और ज़िला स्तर पर इस तरह के फंड।
- नागरिक और आपराधिक दायित्त्व :
- अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन के परिणामस्वरूप विभिन्न नागरिक और आपराधिक देयताओं के लिये अधिनियम कई धाराओं का प्रावधान करता है।
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