'सैटेलाइट मैन ऑफ़ इंडिया'- प्रोफ़ेसर उडुपी रामचंद्र राव :जयंती विशेष
भारतीय प्रोफेसर और वैज्ञानिक उडुपी रामचंद्र राव |
10 मार्च, 1932 में आज ही के दिन कर्नाटक के एक सुदूर गाँव उडुपी जिले के अडामारू में जन्मे, प्रो. राव ने अपना करियर कॉस्मिक-रे भौतिकशास्त्री और डॉ. विक्रम साराभाई के संरक्षक के रूप में शुरू किया था, जो वैज्ञानिक रूप से भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक माने जाते थे। अपनी डॉक्टरेट पूरी करने के बाद, प्रोफेसर राव अमेरिका चले गए, जहाँ उन्होंने एक प्रोफेसर के रूप में काम किया और नासा (NASA) के पायनियर और एक्सप्लोरर स्पेस प्रोब पर प्रयोग किए। 1966 में भारत लौटने पर, प्रोफेसर राव ने 1972 में अपने देश के उपग्रह कार्यक्रम की अगुवाई करने से पहले, अंतरिक्ष विज्ञान के लिए भारत के प्रमुख संस्थान, फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी में एक व्यापक उच्च-ऊर्जा खगोल विज्ञान कार्यक्रम की शुरुआत की। 1984 से 1994 तक प्रो. राव के प्रयोग जारी रहे, भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अध्यक्ष के रूप में समताप मंडल की ऊंचाइयों तक अपने राष्ट्र के अंतरिक्ष कार्यक्रम का प्रचार करने के लिए।
- प्रोफ़ेसर उडुपी रामचंद्र राव ने मद्रास विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक की शिक्षा पूरी करने के बाद बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से एम.एस.की डिग्री हासिल की। इसके उपरांत उन्होंने गुजरात विश्वविद्यालय से अपनी पीएचडी पूरी की।
- इसके उपरांत वह डॉ विक्रम साराभाई के असिस्टेंट के रूप में कार्य करना शुरू किया जिन्हें भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक माना जाता है। कुछ समय बाद वह अमेरिका चले गए जहां पर उन्होंने एमआईटी में संकाय सदस्य और टेक्सास विश्वविद्यालय, डलास में सहायक प्रोफ़ेसर के रूप में कार्य कार्य किया।
- 1966 में प्रोफेसर राव भारत लौटते हैं, और यहां और आकर उन्होंने भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला, अहमदाबाद में प्रोफ़ेसर का पद सँभाला।
- कुछ समय उपरांत प्रोफ़ेसर राव ने 1972 में भारत में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की स्थापना की जिम्मेदारी ली। उन्ही के मार्गदर्शन में सबसे पहला भारतीय उपग्रह 'आर्यभट्ट' को प्रक्षेपित किया गया। इसके साथ ही उन्होंने संचार, सुदूर संवेदन और मौसम विज्ञान सेवाएँ प्रदान करने के लिए 18 से अधिक उपग्रह के प्रक्षेपण करवाने में सफलता हासिल की।
- 1984 में प्रोफेसर राव ने अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग के सचिव के रूप में पद संभाला। इसके उपरांत प्रोफेसर राव ने भारतीय रॉकेट प्रौद्योगिकी विकास को एक नई दिशा दी।
- प्रोफेसर राव के निर्देशन में ही एएसएलवी रॉकेट का सफल विमोचन किया गया। इसके साथ ही 2.0 टन के उपग्रहों को अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित करने में सक्षम पीएसएलवी प्रमोचन यानों का सफल प्रक्षेपण संभव हुआ।
- इसके साथ ही प्रोफ़ेसर राव ने 1991 में भू-स्थिर प्रमोचन यान जीएसएलवी और क्रायोजनिक प्रौद्योगिकी के विकास में भी काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- हमें जानकर आश्चर्य होगा कि प्रोफ़ेसर राव ने ब्रम्हांडीय किरणें, अंतर-ग्रहीय भौतिकी, उच्च ऊर्जा खगोल-विज्ञान, अंतरिक्ष उपयोग और उपग्रह तथा रॉकेट प्रौद्योगिकी पर 350 से अधिक वैज्ञानिक और तकनीकी आलेख प्रकाशित किया है और कई पुस्तकें लिखी हैं। इसके साथ ही प्रोफेसर राव को यूरोप के सबसे पुराने विश्वविद्यालय, यूनिवर्सिटी ऑफ़ बोलोग्ना सहित लगभग 21 विश्वविद्यालयों से डी.एस.सी.(ऑनोरिस कासा) की उपाधि भी प्रदान की गई।
- भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में महत्वपूर्ण योगदान देने के कारण उन्हें सरकार के द्वारा 1976 में पद्म भूषण और वर्ष 2017 में पद्म विभूषण की उपाधि से अलंकृत किया गया।
- प्रोफेसर राव भारत के प्रथम अंतरिक्ष वैज्ञानिक थे, जिन्हें वर्ष 2013 में ‘सैटेलाइट हाल ऑफ द फेम’ में शामिल किया गया। इसके साथ ही वर्ष 2016 में उनको ‘आईएएफ हाल ऑफ फेम’ में सम्मिलित किया गया था।
- राव 2013 में सैटेलाइट हॉल ऑफ फेम में शामिल होने वाले पहले भारतीय बन गए, उसी वर्ष PSLV ने भारत का पहला इंटरप्लेनेटरी मिशन- "मंगलयान" - ए उपग्रह लॉन्च किया जो आज मंगल की परिक्रमा करता है।
- 24 जुलाई, 2017 को 85 वर्ष की उम्र में भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को एक नई दिशा देते हुए विश्व के शीर्ष सफल अंतरिक्ष एजेंसी के रूप में इसरो को स्थापित करने वाले इस महान वैज्ञानिक का निधन हो गया।
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'Satellite Man of India' - Professor Udupi Ramchandra Rao: Jayanti Special
Indian Professor and Scientist Udupi Ramchandra Rao |
Important facts :
- Professor Udupi Ramchandra Rao earned his MS degree from Banaras Hindu University after completing his Bachelor of Science in Science from the University of Madras. After this he completed his PhD from Gujarat University.
- After this he started working as an assistant to Dr. Vikram Sarabhai, who is considered the father of the Indian space program. After some time he moved to the US where he served as a faculty member at MIT and an assistant professor at the University of Texas, Dallas.
- In 1966, Professor Rao returns to India, and here and after, he held the position of Professor at the Physical Research Laboratory, Ahmedabad.
- After some time, Professor Rao took up the responsibility of establishing space technology in India in 1972. The first Indian satellite 'Aryabhata' was launched under his guidance. Along with this, he succeeded in launching more than 18 satellites to provide communication, remote sensing and meteorological services.
- In 1984 Professor Rao took the position as Chairman of the Space Commission and Secretary of the Department of Space. After this, Professor Rao gave a new direction to the development of Indian rocket technology.
- The ASLV rocket was successfully launched under the direction of Professor Rao. With this, successful launch of PSLV launch vehicles capable of orbiting 2.0 tonne satellites was possible.
- Along with this, Professor Rao also played a very important role in the development of geostationary launch vehicle GSLV and cryogenic technology in 1991.
- We would be surprised to know that Professor Rao has published more than 350 scientific and technical articles on cosmic rays, inter-planetary physics, high-energy astronomy, space usage and satellite and rocket technology. Along with this, Professor Rao was also awarded the degree of D.Sc (Honoris Casa) from about 21 universities, including the oldest university in Europe, the University of Bologna.
- He was awarded the Padma Bhushan in 1976 and the Padma Vibhushan in the year 2017 for his significant contribution to the Indian space program.
- Professor Rao was India's first space scientist, who was inducted into the Satellite Hall of the Fame in the year 2013. Along with this, he was inducted into the 'IAF Hall of Fame' in the year 2016.
- Rao became the first Indian to be inducted into the Satellite Hall of Fame in 2013, the same year PSLV launched India's first interplanetary mission - "Mangalyaan" - A satellite that orbits Mars today.
- On July 24, 2017, at the age of 85, giving the Indian space program a new direction, the world's top successful space edge.
2 Comments
Shat shat naman satellite man of India udupi ramchandra rav ji ko..
ReplyDeletenamaskar
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