Subscribe Us

Header Ads

समलैंगिक विवाह मूल अधिकार नहीं : केन्द्र सरकार

 

समलैंगिक विवाह मूल अधिकार नहीं :

 केन्द्र सरकार 


समलैंगिक विवाह मूल अधिकार नहीं : केन्द्र सरकार

समलैंगिकता का अर्थ किसी व्यक्ति का समान लिंग के लोगों के प्रति यौन और रोमांसपूर्वक रूप से आकर्षित होना है। वे पुरुष, जो अन्य पुरुषों के प्रति आकर्षित होते है उन्हें "पुरुष समलिंगी" या गेय और जो महिला किसी अन्य महिला के प्रति आकर्षित होती है उसे भी गे कहा जा सकता है लेकिन उसे आमतौर पर "महिला समलिंगी" या "लेस्बियन" कहा जाता है। जो लोग महिला और पुरुष दोनो के प्रति आकर्षित होते हैं उन्हें "उभयलिंगी" कहा जाता है। कुल मिलाकर समलैंगिक, उभयलैंगिक और लिंगपरिवर्तित लोगो को मिलाकर एल जी बी टी (LGBT) समुदाय बनता है। यह कहना कठिन है कि कितने लोग समलैंगिक हैं। समलैंगिकता का अस्तित्व सभी संस्कृतियों और देशों में पाया गया है, यद्यपि कुछ देशों की सरकारें इस बात का खण्डन करती है।

समलैंगिकता के लिए अन्य शीर्षक

परिभाषा

यह कहा जा सकता है,कि समलैंगिकता शब्द उन लोगो के लिए प्रयुक्त होता है जो रोमांस रूप से समान लिंग के लोगों के प्रति आकर्षित होते हैं, लेकिन इसकी अन्य परिभाषाएँ भी हैं। यदि कोई समलैंगिकता को इस अर्थ में लेता है कि यह शब्द केवल उन लोगो के लिए प्रयुक्त होता है जो समान लिंग के लोगों के प्रति आकर्षित होते हैं, तब इस परिभाषा के अनुसार कहीं अधिक लोग समलैंगिक होंगे बजाय कि यदि कोई समलैंगिकता का अर्थ केवल यह समझता हो जिसमें दो समानलिंगी लोगों के आपसी यौन-संबंध है। आमतौर पर, यह शब्द उन सभी लोगों के लिए प्रयुक्त होता है, जो समान लिंग के प्रति आकर्षित होते है, उनके लिए भी जिनका अभी तक समलैंगिक यौन-संबंध नहीं हैं (अभी तक)। बहरहाल, समलैंगिकता का सबसे दिखाई देने वाला रूप वास्तविक संबंध है। प्राचीन संस्कृतियों में समलैंगिकता के संबंध में सर्वाधिक प्रमाण उन चित्रकारियों से प्राप्त होते है, जिसमें दो पुरुषों को अंतरंग संबंध या यौन-क्रिया में दिखाया गया है।

कुछ लोग होमोफ़ाइल  ("होमोस",अर्थात समान) और ("फ़िलीन"; अर्थात प्यार करना) शब्द का भी उपयोग करते हैं। यह शब्द आमतौर पर एक "विनम्र" शब्द है। यह आमतौर पर उन लोगों के लिए प्रयुक्त होता है जो केवल अपने लिंग के लोगों के प्रति आकर्षित होते हैं, पर जिनके समलैंगिक संबंध नहीं है या वो समर्थ नहीं हैं।

अन्य नाम

समलैंगिकों के लिए बहुत से शब्द प्रयुक्त होते हैं। इनमें से कुछ का उपयोग समलैंगिकों को अपमानित करने के लिए किया जाता है। हालांकि एल॰जी॰बी॰टी समुदाय कभी-कभी स्वयं को वर्णित करने के लिए इन शब्दों का उपयोग करता है। यह इन शब्दों को कम कष्टकारी बनाने के लिए किया जाता है। समलैंगिक पुरुषों के लिए प्रयुक्त होने वाले कुछ शब्द हैं गे और क्वीर। समलैंगिक महिलाओं के लिए प्रयुक्त होने वाले कुछ शब्द हैं लैस्बियन और डाइक। लैस्बियन शब्द का अधिकांशतः उपयोग किया जाता है। डाइक कम उपयोग में आने वाला शब्द है, जो कभी-कभी उन लैस्बियनों के लिए प्रयुक्त होता है, जो अधिक पुरुषों जैसी होती हैं (पुरुषों के समान कपड़े पहनना या व्यवहार करना)

पृष्ठ्भूमि

  • सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समलैंगिकता को विअपराधिकृत करने के उपरान्त समलैंगिक विवाह की मान्यता के सम्बन्ध में मांग उठने लगी है। हाल ही में समलैंगिक समुदाय से सम्बंधित कुछ लोगों ने दिल्ली उच्च न्यायालय से अपील की, कि बिना इस बात पर विचार किए कि उनका लिंग क्या है,किन्हीं दो लोगों के बीच हुए विवाह को विशेष विवाह अधिनियम (एएसएमए) के तहत मान्यता प्रदान की जाए।
  • दो न्यायधीशों की पीठ ने केंद्र सरकार से जवाब माँगा था जिस पर केंद्र सरकार ने समलैंगिक विवाह के विपक्ष में अपना मत प्रस्तुत किया है।
  • समलैंगिक विवाह को लेकर केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपना रुख साफ कर दिया है। केंद्र सरकार ने अदालत में समलैंगिक विवाह को मंजूरी दिए जाने का विरोध किया है।

मुख्य रूप से समलैंगिक श्रेणी में कई वर्ग आते हैं जिनका वर्णन निम्नवत है -

  • लेस्बियन (Lesbian महिला समलिंगी) - एक महिला का दुसरे महिला के प्रति आकर्षण
  • गे (Guy) - एक पुरुष का दुसरे पुरुष के प्रति आकर्षण
  • बाईसेक्सुअल (Bisexual ) - समान तथा विपरीत दोनों लिंगो के प्रति आकर्षण
  • ट्रांससेक्सुअल (Transsexual) - प्राकृतिक लिंग के विपरीत लिंग में परिवर्तन
  • क्यूर (Queer) - ये अपने लैंगिक आकर्षण के प्रति विश्वस्त नहीं होते।

इन्ही श्रेणियों को सम्मिलित रूप से एल.जी.बी.टी.क्यू. कहा जाता है जो समलैंगिक श्रेणी का प्रतिनिधत्व करते हैं।

समलैंगिक विवाह को मंजूरी देने वाली याचिकाएं से संबंधित जानकारी

  • विदित हो कि समलैंगिक विवाह को मंजूरी देने की मांग से संबंधित कई याचिकाएं हाई कोर्ट में दाख़िल की गई हैं। इन याचिकाओं को दाख़िल करने वालों में दो महिलाएं भी शामिल हैं। ये पिछले कई सालों से पार्टनर की तरह एक साथ रह रही हैं और चाहती हैं कि समलैंगिक विवाह को मंजूरी मिले।
  • याचिका में कहा गया है कि ये एक निर्विवाद तथ्य है कि शादी करने का अधिकार ,जीवन के अधिकार के रूप में संविधान के अनुच्छेद 21 के वर्णित है।
  • शादी करने के अधिकार का मानवाधिकार चार्टर में भी जिक्र किया गया है। यह एक सार्वभौम अधिकार है और यह अधिकार हर किसी को मिलना चाहिए, भले ही वह समलैंगिक हो या नहीं।
  • लैंगिक आधार पर शादी की अनुमति नहीं देना समलैंगिक लोगों के अधिकारों का उल्लंघन है।

समलैंगिक विवाह के पक्ष में तर्क

समलैंगिक विवाह के पक्ष में समलैंगिक समुदाय द्वारा निम्न तर्क दिए गए हैं
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 तथा 16 में लैंगिक आधार पर विभेदन का प्रतिषेध है परन्तु समाज मे इन अधिकारों का प्रायः उलंघन होता है।
  • समलैंगिक विवाह करने पर संपत्ति , बीमा , परिवार में प्राप्त अधिकारों से वंचित होना पड़ता है।
  • अनुच्छेद 19 1 (a) के अंतर्गत व्यक्ति को लैंगिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है। परन्तु समलैंगिक विवाह की स्थिती में इस अधिकार का उपयोग नहीं हो पता।
  • कई बार समाज के रूढ़िवादी तत्वों द्वारा समलैंगिक विवाहित युग्म पर शारीरिक अथवा मानसिक हिंसा का प्रयोग भी किया जाता है।
  • इस प्रकार समलैंगिक विवाह से व्यक्ति के मूल अधिकार , सामाजिक अधिकार , पारिवारिक अधिकार के उपयोग में बाधा आती है। अतः समलैंगिक विवाह को विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत मान्यता दी जाए जिससे समलैंगिक विवाह करने वाले अपने अधिकारों को प्राप्त कर सकें।

केंद्र सरकार का न्यायलय में पक्ष (समलैंगिक विवाह के विपक्ष में तर्क)

  • संसद द्वारा विवाह की परिभाषा में स्पष्ट है कि भारत में विवाह को तभी मान्यता दी जा सकती है जब बच्चा पैदा करने में सक्षम "जैविक पुरुष" और "जैविक महिला" के बीच विवाह हुआ हो।
  • भारत में विवाह की लैंगिक आवश्यकता नहीं बल्कि संस्कार माना जाता है जो विवाह की पवित्रता का सूचक है।
  • भारतीय समाज में विवाह की अवधारणा एक पति, एक पत्नी और बच्चे पर आधारित है, जिसकी तुलना समलैंगिक परिवार के साथ नहीं की जा सकती है।
  • माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा इसे विअपराधिकृत किया गया है इससे समलैंगिक विवाह या आचरण को मूल अधिकार मानने की पुष्टि नहीं होती है।
  • विशेष विवाह अधिनियम -1954 या हिन्दू विवाह अधिनियम -1955 में संसोधन की शक्ति विधायिका में निहित है न कि न्यायपालिका में। अतः विधायिका सामाजिक नैतिकता व व्यक्ति के स्वतंत्रता के संतुलन को बनाते हुए इस प्रकार के विवाह की मान्यता देने स्थिति पर विचार कर सकती है।

भारत में समलैंगिक आधिकारो का विकास

  • यद्यपि प्राचीन तथा मध्यकाल में भी यह समुदाय अस्तित्व ने था परन्तु सामाजिक नियमो की प्रबलता के फलस्वरूप ये अपनी पहचान गुप्त रखते थे। 2001 में नीदरलैंड में समलैंगिक आधिकारो को मान्यता मिलने के उपरान्त भारत में समलैंगिक आधिकारो की मांग तब बढ़ी जब नज इंडिया फाउंडेशन द्वारा 2001 में दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई।
  • 2009 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने समलैंगिक प्रेम सम्बन्धो को आपराधिक कृत्य की श्रेणी से बाहर कर दिया परन्तु 2013 में सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्णय को परिवर्तित कर दिया।
  • 2016 में यह मामला 5 सदस्यीय संबैधानिक पीठ के पास भेजा गया। संवैधानिक पीठ के निर्णय में दो वयस्कों के सम्बन्ध की निजी मानकर धारा 377 के समलैंगिकता वाले प्रावधान को विअपराधिकृत कर दिया गया।

भारतीय समाज तथा समलैंगिकता

  • प्राचीन भारतीय ग्रंथो में किन्नर शब्द संभवतः समलैंगिक समुदाय को सूचित करता था। ऋग्वेद के एक सूक्त में लिखा है कि "विकृतिः एव प्रकृतिः " अर्थात जो अप्राकृतिक है वह भी प्रकृति की ही देन है।
  • समय के साथ- साथ कुछ धार्मिक मान्यताओं तथा सामाजिक आवश्यकताओ में पुत्र की बढ़ती मांग के कारण जैविक पुरुष तथा जैविक महिला के सम्बन्धो को ही सामाजिक मान्यता प्राप्त होने लगी जिससे समलैंगिकों की सामाजिक स्थिति में गिरावट आई। आज उच्चतम न्यायालय के निर्णय के उपरान्त भी समलैंगिक समुदाय समाज में उपेक्षाओ का शिकार है।

क्या है भारत में समलैंगिक विवाह की स्थिति?

  • उल्लेखनीय है कि समलैंगिक विवाह को सेम सेक्स मैरिज भी कहते हैं जिसमें एक जेंडर वाले दो लोग आपस में शादी करते हैं, जैसे दो लड़कियां और दो लड़के आपस में शादी करते है।
  • भारत में अभी समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता नहीं मिली है।
  • दो वर्ष पूर्व तक भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में समलैंगिकता को अपराध माना गया था।
  • भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 के अनुसार, जो कोई भी किसी पुरुष, महिला या पशु के साथ अप्राकृतिक संबंध बनाता है तो इस अपराध के लिए उसे 10 साल तक की सजा या आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया था।
  • 6 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने ऐतिहातिक फैसले में समलैंगिकता को अपराध मानने से तो इनकार कर दिया था और इसे अपराध की श्रेणी से हटा दिया था।
  • इस फैसले के अनुसार अब आपसी सहमति से दो वयस्कों के बीच बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अपराध नहीं माना जाता है।

निष्कर्ष

भारत में समलैंगिक समूह लगभग 8% हैं अर्थात इनकी जनसंख्या 10 करोड़ से अधिक है। इतने विशाल जनसँख्या के संबंध में निर्णय लेते समय सावधानी वरतने की आवश्यकता है। उसके साथ ही तेजी से परिवर्तित होते समाज तथा व्यक्तिगत अधिकारों के मध्य संतुलन स्थापित करना भी आवश्यक है। भारतीय न्यायालयो ने कई बार ऐसी परिस्थितियों में प्रगतिशील समाज और व्यक्तिगत अधिकारों को संतुलित कर निर्णय दिया है। इस बार भी इन दोनों पक्षों को ध्यान में रखकर निर्णय दिया जाना चाहिए।

___________________________________________________________________________________


English translation of this topic below :-

Gay Marriage is not a Fundamental Right:
  Central government

समलैंगिक विवाह मूल अधिकार नहीं : केन्द्र सरकार

Homosexuality refers to a person being sexually and romantically attracted to people of the same sex. Men who are attracted to other men may also be called "gay or lesbian" and a woman who is attracted to another woman can also be called gay but is usually referred to as "female homosexual" or "lesbian". is. People who are attracted to both women and men are called "bisexual". Overall, the LGBT community consists of homosexual, bisexual and gendered people. It is hard to say how many people are gay. The existence of homosexuality has been found in all cultures and countries, although the governments of some countries refute this.

Other Title for Homosexuality
Definition

It can be said that the term homosexuality is used for people who are romantically attracted to people of the same sex, but there are other definitions. If one takes homosexuality in the sense that the term is used only for people who are attracted to people of the same sex, then by this definition, far more people would be gay than if a homosexuality simply meant Understand in which two gay people have sexual intercourse. Typically, the term is used for all people who are attracted to the same sex, even for those who do not (yet) have homosexual sex. However, the most visible form of homosexuality is the actual relationship. Most evidence of homosexuality in ancient cultures comes from paintings depicting two men in intimate relationships or sexual acts.

Some people also use the terms homophile ("homos", meaning similar) and ("filing"; meaning making love). This word is usually a "polite" word. It is commonly used for people who are only attracted to people of their gender, but who do not have or are not able to have a gay relationship.
other names
Many words are used for homosexuals. Some of these are used to humiliate homosexuals. However, the LGBT community sometimes uses these words to describe themselves. This is done to make these words less annoying. Some of the words used for gay men are gay and queer. Some of the terms used for gay women are lesbian and dyke. The term lasbian is mostly used. Dike is a less frequently used term, sometimes used for Lesbians who are more men-like (wearing or behaving the same as men).

Background

After the Supreme Court has decriminalized homosexuality, demands have arisen regarding the recognition of same-sex marriage. Recently some people belonging to the gay community appealed to the Delhi High Court to recognize the marriage between any two people under the Special Marriage Act (ASMA) without considering what their gender is. 
A bench of two judges sought a response from the central government, on which the central government has submitted its vote in opposition to gay marriage.
The central government has made its stand clear in the Delhi High Court regarding gay marriage. The central government has protested against the approval of gay marriage in the court.

There are several categories mainly in the gay category which are described as follows -

Lesbian (Lesbian Lesbian) - A Woman's Attraction To Another Woman
Gay - One man's attraction to another man
Bisexual - Attraction towards both same and opposite sexes
Transsexual - Changes in the opposite sex of the natural gender
Queer - They are not confident about their sexual attraction.

These categories are collectively combined with LGBTQ. They are said to represent the gay category.

Information related to petitions approving gay marriage

It is to be noted that a number of petitions have been filed in the High Court seeking approval for gay marriage. Two women are also among those filing these petitions. She has been living together as a partner for the past several years and wants gay marriage to be approved.
The petition states that it is an undisputed fact that the right to marry is described in Article 21 of the Constitution as a right to life.
The right to marry is also mentioned in the Human Rights Charter. It is a universal right and everyone should get this right, whether it is gay or not.
Not allowing marriage on gender grounds is a violation of the rights of gay people.

Arguments in favor of same-sex marriage

The following arguments have been made by the gay community in favor of gay marriage

Articles 15 and 16 of the Indian Constitution prohibit discrimination on the basis of gender, but these rights are often violated in society.
Gay marriage is denied property, insurance, rights in the family.
Under Article 19 1 (a) a person has the right to freedom of sexual expression. But in the case of gay marriage, this right should not be used.
Many times, physical or mental violence is also used by conservative elements of society on same-sex couples.
Thus gay marriage hinders the use of basic rights, social rights, family rights of the person. Therefore, gay marriage should be recognized under the Special Marriage Act, so that gay marriages can get their rights.

Central government's side in court (argument in opposition to same-sex marriage)

The definition of marriage by Parliament makes it clear that marriage in India can be recognized only when there is a marriage between a "biological man" and a "biological woman" capable of bearing a child.
In India, marriage is not considered to be a sexual necessity, but a rite that is indicative of the sanctity of marriage.
The concept of marriage in Indian society is based on a husband, a wife and a child, which cannot be compared with a gay family.
It has been de-criminalized by the Hon'ble Supreme Court. This does not confirm homosexual marriage or conduct to be a fundamental right.
The power of amendment in the Special Marriage Act-1954 or Hindu Marriage Act-1955 is vested in the legislature and not in the judiciary. Therefore, the legislature can consider the status of recognizing this type of marriage while balancing the social morality and freedom of the individual.

Development of gay rights in India

Although this community existed in the ancient and medieval period also, due to the predominance of social rules, they kept their identity secret. After the recognition of gay rights in the Netherlands in 2001, the demand for gay rights in India increased when a petition was filed by the Nudge India Foundation in 2001 in the Delhi High Court.
In 2009, the Delhi High Court excluded homosexual relationships from criminal acts, but in 2013 the Supreme Court changed the decision of the Delhi High Court.
In 2016, the matter was referred to a 5-member Constitutional Bench. In the decision of the Constitutional Bench, the provision of homosexuality under Section 377 was deemed to be a private affair of the relationship of two adults.

Indian Society and Homosexuality

In ancient Indian texts, the word kinnar probably referred to the gay community. It is written in a Sukta of the Rigveda that "pathology and nature" means that what is unnatural is also the gift of nature.
Over time, due to the increasing demand of the son in certain religious beliefs and social needs, the relationship of biological man and biological woman started to get social recognition, which led to the decline in the social status of homosexuals. Today, even after the decision of the Supreme Court, the gay community is a victim of neglect in the society.

What is the status of same-sex marriage in India?

It is noteworthy that gay marriage is also called same sex marriage in which two people with one gender marry, such as two girls and two boys marry.
Gay marriage is not yet legally recognized in India.
Until two years ago, homosexuality was considered a crime in the Indian Penal Code (IPC).
According to Section 377 of the Indian Penal Code (IPC), whoever makes unnatural relations with any man, woman or animal was given a punishment of up to 10 years or life imprisonment for this offense.
On 6 September 2018, the Supreme Court constitution bench refused to consider homosexuality as a crime in a historical judgment and removed it from the category of crime.
According to this decision, homosexual relations between two adults are no longer considered a crime by mutual consent.

The conclusion

Homosexual groups in India constitute around 8%, meaning they have a population of over 100 million. There is a need to be careful while taking decisions regarding such a large population. Along with that, it is also necessary to strike a balance between a rapidly changing society and individual rights. Indian courts have often given judgments in such circumstances by balancing progressive society and individual rights. This time too, a decision should be given keeping these two sides in mind.



___________________________________________________________________________________



Post a Comment

0 Comments