Subscribe Us

Header Ads

भारत रत्न डॉ. धोंडो केशव कर्वे (Dr. Dhondo Keshav Karve) : जयंती विशेष

 

भारत रत्न डॉ. धोंडो केशव कर्वे (Dr. Dhondo Keshav Karve) : जयंती विशेष


भारत रत्न डॉ. धोंडो केशव कर्वे (Dr. Dhondo Keshav Karve) : जयंती विशेष

डॉ. धोंडो केशव कर्वे (Dhondo Keshav Karve, जन्म: 18 अप्रॅल, 1858 महाराष्ट्र; मृत्यु: 9 नवंबर1962) को 'महर्षि कर्वे' के नाम के साथ बड़े ही सम्मान और आदर के साथ याद किए जाने वाले आधुनिक भारत के सबसे बड़े समाज सुधारक और उद्धारक माने जाते हैं। अपना पूरा जीवन विभिन्न बाधाओं और संघर्षों में भी समाज सेवा करते हुए समाप्त कर देने वाले महर्षि कर्वे ने अपने कथन ('जहाँ चाह, वहाँ राह') को सर्वथा सत्य सिद्ध किया।

डॉ. धोंडो केशव कर्वे ( Dr. Dhondo Keshav Karve) :

महर्षि कर्वे का जन्म 18 अप्रॅल, 1858 को महाराष्ट्र के रत्नागिरि ज़िले के 'मुरूड़' नामक गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री केशव पंत था। यद्यपि महर्षि कर्वे के माता-पिता बहुत ही स्वाभिमानी और उच्च विचारों वाले दंपत्ति थे, किंतु उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। वे अपने पुत्र को अच्छी शिक्षा और संस्कारों से युक्त बनाना चाहते थे, किंतु अपनी विपन्नता के कारण अधिक कुछ ना कर सके।

शिक्षा :

किसी प्रकार महर्षि कर्वे की प्रारम्भिक शिक्षा गांव में ही एक प्राइमरी स्कूल में हुई। तत्पश्चात् कुछ समय तक उन्हें घर पर रह कर ही पढ़ना पड़ा। शिक्षा के लिए उन्हें बचपन में कितने संघर्षों से गुज़रना पड़ा, इसका ज्ञान इसी बात से हो जाता है कि मिडिल की परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए उन्हें अपनी नियमित पढ़ाई छोड़ कर गांव से मीलों दूर कोल्हापुर जाकर स्वतंत्र परीक्षार्थी के रूप में परीक्षा देनी पड़ी। सन 1881 में ने उन्होंने मुम्बई के 'रॉबर्ट मनी स्कूल' से हाई स्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की। बाद में मुम्बई के 'एलफिंस्टन कॉलेज' से सन् 1884 में गणित विषय में विशेष योग्यता के साथ स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की। अपनी पारिवारिक आर्थिक स्थिति को देखते हुए आगे की पढ़ाई ना करते हुए, अपनी योग्यता के आधार पर 'मराठा स्कूल' में अध्यापन कार्य प्रारम्भ कर दिया।

महिला शिक्षा में डॉ. धोंडो केशव कर्वे का योगदान :

  • डॉ. धोंडो केशव कर्वे ने भारत में महिलाओं की स्थिति को सुधारने में उल्लेखनीय प्रयास किए हैं।
  • उन्होने भारत में महिलाओं की दयनीय स्थिति के लिए उनकी शिक्षा तक पहुँच न होना प्रमुख कारण माना था, अतः डॉ. कर्वे ने महिला शिक्षा के लिए काफी प्रयास किए।
  • महिला शिक्षा की दिशा में कार्य कराते हुए डॉ. कर्वे ने 1907 ई. को एक महिला विद्यालय की स्थापना की थी।
  • अपने इस कार्य को आगे बढ़ाते हुए वर्ष 1916 में डॉ. धोंडो केशव कर्वे ने पुणे में महिला विश्वविद्यालय की स्थापना में बहुमूल्य योगदान दिया। इस महिला विश्वविद्यालय की नींव डॉ. धोंडो केशव कर्वे के अथक प्रयासों के फलस्वरूप ही पड़ सकी थी। बाद में पुणे के इस महिला विश्वविद्यालय का नाम श्रीमती नत्थीबाई दामोदर ठाकरसी (एसएनडीटी) विश्वविद्यालय नाम रखा गया ।
  • इसके अतिरिक्त, डॉ. धोंडो केशव कर्वे ने ग्रामीण भारत में शिक्षा के प्रचार हेतु 1936 ई. में महाराष्ट्र ग्राम प्राथमिक शिक्षा समिति की स्थापना की थी।

विधवाओं की स्थिति में सुधार हेतु डॉ. धोंडो केशव कर्वे का योगदान :

  • 19वीं और 20वीं सदी में भारत में विधवाओं की काफी दयनीय स्थिति थी। डॉ. धोंडो केशव कर्वे ने भारत में विधवाओं की स्थिति सुधारने हेतु अथक प्रयत्न किए थे।
  • वह विधवा विवाह के प्रबल समर्थक थे। यही कारण था कि 1893 ई. में उन्होंने ‘विधवा विवाह संघ’ की स्थापना की थी।
  • आगे चलकर डॉ. कर्वे ने 1896 ई. में ‘हिंदू विधवा आश्रम’ भी बनाया था।

सम्मान :

सन 1942 में उनके द्वारा स्थापित विश्वविद्यालय की रजत जयंती मनायी गयी। सर्वपल्ली राधाकृष्णन जैसे महान् विद्वान् और शिक्षाविद ने इस समारोह की अध्यक्षता की। इसी वर्ष महर्षि कर्वे को बनारस विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। सन् 1951 में उनके विश्वविद्यालय को 'राष्ट्रीय विश्वविद्यालय' का दर्ज़ा प्राप्त हुआ। इसी वर्ष पूना विश्वविद्यालय ने महर्षि कर्वे को डी.लिट. की उपाधि प्रदान की। महर्षि कर्वे के महान् समाज सुधार के कार्यों के सम्मान स्वरूप सन् 1955 में भारत सरकार द्वारा उन्हें 'पद्म भूषण' से विभूषित किया गया। इसी वर्ष 'श्रीमती नत्थीबाई भारतीय महिला विश्वविद्यालय' द्वारा उन्हें डी.लिट. की उपाधि प्रदान की गयी।

भारत रत्न :

सन 1958 में जब महर्षि कर्वे ने अपने जीवन के सौ वर्ष पूरे किए, देश भर में उनकी जन्म शताब्दी मनायी गयी। इस अवसर को अविस्मरणीय बनाते हुए भारत सरकार द्वारा इसी वर्ष उन्हें 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया। भारत सरकार द्वारा उनके सम्मान और स्मृति में एक डाक टिकट भी ज़ारी किया गया।


भारत रत्न डॉ. धोंडो केशव कर्वे (Dr. Dhondo Keshav Karve) : जयंती विशेष

निधन :

महर्षि कर्वे, 105 वर्ष के दीर्घ आयु प्राप्त की और अंत तक वह किसी न किसी रूप में मानव सेवा के कार्यों में लगे रहे। 9 नवंबर सन् 1962 को इस महान् आत्मा ने इस लोक से विदा ली।


___________________________________________________________________________________

Post a Comment

0 Comments