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आंतरिक सुरक्षा : म्याँमार से अवैध प्रवाह

 

आंतरिक सुरक्षा : म्याँमार से अवैध प्रवाह


आंतरिक सुरक्षा : म्याँमार से अवैध प्रवाह

हाल ही में गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affair) ने नागालैंड, मणिपुर, मिज़ोरम और अरुणाचल प्रदेश को म्याँमार से भारत में अवैध प्रवाह की जाँच करने का निर्देश दिया है।

  • इस संबंध में सीमा सुरक्षा बल (Border Guarding Force) यानी असम राइफल्स को भी निर्देश दिये गए हैं।
  • म्याँमार से पलायन कर आने वाले बहुत सारे रोहिंग्या (Rohingya) पहले से ही भारत में रह रहे हैं।भारत देश में प्रवेश करने वाले सभी शरणार्थियों को अवैध प्रवासी मानता है।
  • एक अनुमान के अनुसार, वर्ष 2020 में भारत के विभिन्न राज्यों में लगभग 40,000 रोहिंग्या शरणार्थी रह रहे थे।

भारत-म्यांमार सम्बन्ध:


आंतरिक सुरक्षा : म्याँमार से अवैध प्रवाह

भारत और म्यांमार दोनों पड़ोसी हैं। इनके संबन्ध अत्यन्त प्राचीन और गहरे हैं और आधुनिक इतिहास के तो कई अध्याय बिना एक-दूसरे के उल्लेख के पूरे ही नहीं हो सकते। आधुनिक काल में 1937 तक बर्मा भी भारत का ही भाग था और ब्रिटिश राज के अधीन था। बर्मा के अधिकतर लोग बौद्ध हैं और इस नाते भी भारत का सांस्कृतिक सम्बन्ध बनता है। पड़ोसी देश होने के कारण भारत के लिए बर्मा का आर्थिक, राजनीतिक और रणनीतिक महत्व भी है।

यह वही बर्मा है जहाँ भारतीय स्वाधीनता की पहली संगठित लड़ाई का अगुवा बहादुरशाह ज़फर कैद कर रखा गया और वहीं उसे दफ़नाया गया। बरसों बाद बाल गंगाधर तिलक को उसी बर्मा की मांडले जेल में कैद रखा गया।रंगून और मांडले की जेलें अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों की गवाह हैं। उस बर्मा में बड़ी संख्या में गिरमिटिया मजदूर ब्रिटिश शासन की गुलामी के लिए ले जाए गए और वे लौट कर नहीं आ सके। इनके आलावा रोज़गार और व्यापार के लिए गए भारतियों की भी बड़ी संख्या वहाँ निवास करती है। यह वही बर्मा है जो कभी भारत की पॉपुलर संस्कृति में ‘मेरे पिया गए रंगून, वहाँ से किया है टेलीफून’ जैसे गीतों में दर्ज हुआ करता था।


भारत के लिए म्‍यांमार का महत्‍व बहुत ही स्‍पष्‍ट है : 

भारत और म्‍यांमार की सीमाएं आपस में लगती हैं जिनकी लंबाई 1600 किमी से भी अधिक है तथा बंगाल की खाड़ी में एक समुद्री सीमा से भी दोनों देश जुड़े हुए हैं। अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मणिपुर और नागालैंड की सीमा म्यांमार से सटी हुई है। म्‍यांमार के साथ चहुंमुखी संबंधों को बढ़ावा देना भारत के पूर्वोत्‍तर राज्‍यों के आर्थिक परिवर्तन के लिए महत्‍वपूर्ण है। यह क्षेत्र दुर्गम पहाड़ और जंगल से घिरा हुआ है। इसके एक तरफ भारतीय सीमा में चीन की तत्परता भारत के लिए चिंता का विषय है तो दूसरी तरफ भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में अलगाववादी ताकतों की सक्रियता और घुसपैठ की संभावनाओं को देखते हुए बर्मा से अच्छे संबंध बनाए रखना भारत के लिए अत्यावश्यक है।

भारत की राष्‍ट्रीय सुरक्षा के लिए भी म्‍यांमार बहुत महत्‍वपूर्ण है। दोनों देशों ने सीमा क्षेत्र से बाहर प्रचालन करने वाले भारतीय विद्रोहियों से लड़ने के लिए वास्‍तविक समयानुसार आसूचना को साझा करने के लिए संधि की है।


भारत-म्याँमार सीमा:

  • भारत और म्याँमार के बीच 1,643 किलोमीटर (मिज़ोरम 510 किलोमीटर, मणिपुर 398 किलोमीटर, अरुणाचल प्रदेश 520 किलोमीटर और नगालैंड 215 किलोमीटर) की सीमा है तथा दोनों तरफ के लोगों के बीच पारिवारिक संबंध है। 
  • म्याँमार के साथ इन चार राज्यों की सीमा बिना बाड़ वाली है।


प्रमुख बिंदु :

गृह मंत्रालय के निर्देश:

  • राज्य सरकारों के पास "किसी भी विदेशी को शरणार्थी का दर्जा" देने की शक्ति नहीं है और भारत वर्ष 1951 के संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी सम्मेलन तथा उसके प्रोटोकॉल (वर्ष 1967) का हस्ताक्षरकर्त्ता नहीं है।
  • इसी तरह के निर्देश अगस्त 2017 और फरवरी 2018 में जारी किये गए थे।

पृष्ठभूमि:

  • यह निर्देश म्याँमार में सैन्य तख्तापलट और उसके बाद लोगों पर होने वाली सैन्य कार्रवाई के बाद आया है, जिसके कारण कई लोग भारत में घुस आए।
  • म्याँमार की सेना ने फरवरी 2021 में तख्तापलट करके देश पर कब्ज़ा कर लिया।
  • उत्तर-पूर्वी राज्य सीमा पार से आने वाले लोगों को आसानी से आश्रय प्रदान करते हैं क्योंकि कुछ राज्यों के म्याँमार के सीमावर्ती क्षेत्रों के साथ सांस्कृतिक संबंध हैं और कई लोगों के पारिवारिक संबंध भी हैं। इसका परिणाम यह हुआ कि कुछ राज्यों ने म्याँमार से भागकर आए लोगों के प्रति सहानुभूति जताते हुए उन्हें आश्रय दिया।
  • इन राज्यों में पहले से ही ब्रू जैसी जनजातियों के बीच झड़पें होती रहीं हैं। अतः इस प्रकार के अंतर्वाह से ऐसी घटनाओं में वृद्धि होगी।

हाल का अंतर्वाह:

म्याँमार से पुलिसकर्मियों और महिलाओं सहित एक दर्जन से अधिक विदेशी नागरिक पड़ोसी राज्य मिज़ोरम में आए हैं।

मुक्त संचरण की व्यवस्था:

  • भारत और म्याँमार के बीच एक मुक्त संचरण व्यवस्था (Free Movement Regime) मौजूद है।
  • इस व्यवस्था के अंतर्गत पहाड़ी जनजातियों के प्रत्येक सदस्य, जो भारत या म्याँमार का नागरिक है और भारत-म्याँमार सीमा (IMB) के दोनों ओर 16 किमी. के भीतर निवास करते है, एक सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी सीमा पास (एक वर्ष की वैधता) से सीमा पार कर सकता है तथा प्रति यात्रा के दौरान दो सप्ताह तक यहाँ रह सकता है।

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी सम्मेलन, 1951 :

  • यह संयुक्त राष्ट्र (United Nation) की एक बहुपक्षीय संधि है, जिसमें शरणार्थी की परिभाषा, उनके अधिकार तथा हस्ताक्षरकर्त्ता देश की शरणार्थियों के प्रति ज़िम्मेदारियों का भी प्रावधान किया गया है।
  • यह संधि युद्ध अपराधियों, आतंकवाद से जुड़े  व्यक्तियों को शरणार्थी के रूप में मान्यता नहीं देती है।
  • यह संधि जाति, धर्म, राष्ट्रीयता, किसी विशेष सामाजिक समूह से संबद्धता या पृथक राजनीतिक विचारों के कारण उत्पीड़न तथा अपना देश छोड़ने को मजबूर लोगों के अधिकारों को संरक्षण प्रदान करती है।
  • इसमें कन्वेंशन द्वारा जारी यात्रा दस्तावेज़ धारकों के लिये कुछ वीज़ा मुक्त यात्रा का प्रावधान  किया गया है।
  • यह संधि वर्ष 1948 की मानवाधिकारों पर सार्वभौम घोषणा (UDHR) के अनुच्छेद 14 से प्रेरित है। UDHR किसी अन्य देश में पीड़ित व्यक्ति को शरण मांगने का अधिकार प्रदान करती है।
  • एक शरणार्थी कन्वेंशन में प्रदान किये गए अधिकारों के अलावा संबंधित राज्य में अधिकारों और लाभों को प्राप्त कर सकता है
  • वर्ष 1967 का प्रोटोकॉल सभी देशों के शरणार्थियों को शामिल करता है, इससे पूर्व वर्ष 1951 में की गई संधि सिर्फ यूरोप के शरणार्थियों को ही शामिल करती थी।
  • भारत इस सम्मेलन का सदस्य नहीं है।


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English translation of this topic below :-

Internal Security: Illegal flows from Myanmar

Internal Security: Illegal flows from Myanmar

Recently, the Ministry of Home Affair has directed Nagaland, Manipur, Mizoram and Arunachal Pradesh to check illegal flows from Myanmar into India.
  • Instructions have also been given to the Border Guarding Force, the Assam Rifles in this regard.
  • Many Rohingya migrating from Myanmar are already living in India. India considers all refugees entering the country as illegal migrants.
  • According to an estimate, around 40,000 Rohingya refugees were living in different states of India in the year 2020.
India-Myanmar Relations:

Internal Security: Illegal flows from Myanmar

India and Myanmar are both neighbors. Their relations are very ancient and deep and many chapters of modern history cannot be completed without mentioning each other. In modern times until 1937, Burma was also a part of India and was under the British Raj. Most of the people of Burma are Buddhists and because of this also cultural relation of India is formed. Being a neighboring country, Burma also has economic, political and strategic importance for India.
This is the same Burma where Bahadur Shah Zafar, the leader of the first organized fight for Indian independence, was imprisoned and buried there. Years later, Bal Gangadhar Tilak was imprisoned in the Mandalay jail of the same Burma. The jails of Rangoon and Mandalay bear witness to the sacrifices of countless freedom fighters. A large number of indentured laborers were taken to slavery under British rule in Burma and they could not return. Apart from these, a large number of Indians who have gone for employment and business also reside there. This is the same Burma that was once recorded in the popular culture of India in songs like 'Mere Piya Gaya Rangoon, From there to Telephoon'.

The importance of Myanmar for India is very clear:

India and Myanmar share boundaries, which are more than 1600 km in length, and a maritime border in the Bay of Bengal. Arunachal Pradesh, Mizoram, Manipur and Nagaland border with Myanmar. Promoting all-round relations with Myanmar is critical to the economic transformation of the North Eastern states of India. The region is surrounded by inaccessible mountains and forest. On the one hand, China's readiness in the Indian border is a matter of concern for India, on the other hand, it is essential for India to maintain good relations with Burma, given the potential of infiltration and infiltration of separatist forces in the northeast region of India.

Myanmar is also very important for India's national security. The two countries have entered into a treaty to share real-time intelligence to fight Indian rebels operating outside the border region.

India-Myanmar border:

  • India and Myanmar have a border of 1,643 km (Mizoram 510 km, Manipur 398 km, Arunachal Pradesh 520 km and Nagaland 215 km) and have family ties between the people on both sides.
  • The border of these four states with Myanmar is without fence.

Key points :

Home Ministry directives:
  • State governments do not have the power to grant "Refugee status to any foreigner" and India is not a signatory to the United Nations Refugee Convention of 1951 and its Protocol (1967).
  • Similar instructions were issued in August 2017 and February 2018.

Background:
  • The directive came after the military coup in Myanmar and the subsequent military crackdown on the people, which led many to enter India.
  • Myanmar's army overthrew the country in February 2021 and captured the country.
  • North-eastern states provide easy access to people from across the border as some states have cultural connections with Myanmar's border areas and many have family ties. As a result, some states gave shelter to those who fled Myanmar, expressing sympathy for them.
  • There have already been skirmishes between tribes like the Bru in these states. Therefore, this type of inflow will increase such incidents.

Recent inflows:

More than a dozen foreign nationals, including policemen and women, have arrived in the neighboring state of Mizoram from Myanmar.

System of free transmission:
  • A free movement regime exists between India and Myanmar.
  • Under this arrangement each member of the hill tribes, who is a citizen of India or Myanmar and 16 km on either side of the Indo-Myanmar border (IMB). He resides within, can cross the border with the border pass (validity of one year) issued by a competent authority and can stay here for two weeks per visit.

United Nations Refugee Convention, 1951:
  • It is a multilateral treaty of the United Nations, which also provides for the definition of refugee, their rights and responsibilities towards the refugees of the signatory country.
  • The treaty does not recognize war criminals, terrorism-related individuals as refugees.
  • This treaty protects the rights of people oppressed and forced to leave their country due to caste, religion, nationality, affiliation with a particular social group or different political views.
  • It provides for some visa-free travel for holders of travel documents issued by the Convention.
  • The treaty is inspired by Article 14 of the 1948 Universal Declaration on Human Rights (UDHR). The UDHR grants the victim's right to seek asylum in another country.
  • A refugee may receive rights and benefits in the respective state in addition to the rights provided for in the Convention.
  • The 1967 protocol covers refugees from all countries, before the 1951 treaty included only refugees from Europe.
  • India is not a member of this conference.



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