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भारत के अलग-अलग हिस्से में नव वर्ष

 

भारत के अलग-अलग हिस्से में नव वर्ष


नव वर्ष :

नव वर्ष, एक उत्सव की तरह पूरी दुनिया में अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तिथियों और विधियों से मनाया जाता है। विभिन्न सम्प्रदायों के नव वर्ष समारोह भी अलग-अलग होते हैं, और इसके महत्त्व की भी विभिन्न संस्कृतियों में आपसी भिन्नता है। भारत जैसे विशाल और खूबसूरत देश में भी यह भिन्नता मौजूद है। इसके अलग-अलग हिस्सों में नव वर्ष अलग-अलग तिथियों को मनाया जाता है। अक्सर यह तिथियां मार्च और अप्रैल के महीने में पड़ती है। 

पश्चिमी नव वर्ष :

नव वर्ष उत्सव 4,000 वर्ष पहले से बेबीलोन में मनाया जाता था। लेकिन उस समय नए वर्ष का त्यौहार 21 मार्च को मनाया जाता था, जो कि वसंत के आगमन की तिथि भी मानी जाती थी। प्राचीन रोम में भी नव वर्षोत्सव के लिए चुनी गई थी। रोम के शासक जूलियस सीजर ने ईसा पूर्व 45वें वर्ष में जब जूलियन कैलेंडर की स्थापना की, उस समय विश्व में पहली बार 1,जनवरी को नए वर्ष का उत्सव मनाया गया। ऐसा करने के लिए जूलियस सीजर को पिछला वर्ष, यानि, ईसापूर्व 46 इस्वी को 445 दिनों का करना पड़ा था।

हिब्रू नव वर्ष :

हिब्रू मान्यताओं के अनुसार भगवान द्वारा विश्व को बनाने में सात दिन लगे थे। इस सात दिन के संधान के बाद नया वर्ष मनाया जाता है। यह दिन ग्रेगरी के कैलेंडर के मुताबिक 5 सितम्बर से 5 अक्टूबर के बीच आता है।

हिन्दू नव वर्ष :

हिन्दुओं का नया साल, चैत्र नव रात्रि के प्रथम दिन यानी गुड़ी पड़वा पर हर साल विक्रम संवत के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से आरंभ होता है।

भारतीय नव वर्ष :

भारत के अलग-अलग हिस्से में नव वर्ष

भारत के विभिन्न हिस्सों में नव वर्ष अलग-अलग तिथियों को मनाया जाता है। प्रायः ये तिथि मार्च और अप्रैल के महीने में पड़ती है।

वैशाखी - वैशाखी का पावन त्यौहार हर साल, अप्रैल के महीने में मनाया जाता है। यह त्योहार मुख्यत: पंजाब और हरियाणा में बड़े ही धूम- धाम से मनाया जाता है। बैशाखी के दिन से ही देश के कई हिस्सों में फसलों की कटाई शुरु होती है। सिखों के नववर्ष के रूप में मनाया जाने वाला यह त्यौहार इस साल 14 अप्रैल को मनाया जाएगा। बैशाखी के दिन ही सिखों के 10वें गुरु गोविन्द सिंह जी ने 13 अप्रैल 1699 को खालसा पंथ की स्थापना की थी।

विषु - यह केरल का प्राचीन त्योहार है। केरलावासियों के लिए नववर्ष का यह पहला दिन मलयालम महीने मेष की पहली तिथि को मनाया जाता है। विषु के दिन की प्रमुख विशेषता "विषुक्कणी" है। 'विषुक्कणी' उस झाँकी-दर्शन को कहते हैं, जिसका दर्शन विषु के दिन प्रात:काल सबसे पहले किया जाता है।

पुथांडु - जिसे पुथुरूषम भी कहा जाता है, तमिल नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है। सौर चक्र पर आधारित तमिल कैलेंडर के पहले महीने का नाम चिधिराई है, और इसी महीने का पहला दिन पुथांडु के रूप में मनाया जाता है। यह ग्रेगोरियन कैलेंडर के 14 अप्रैल या उसके आस-पास मनाया जाता है।

गुड़ी पड़वा - यह त्योहार इस साल 13 अप्रैल को मनाया जाएगा। ये गोवा, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के कई राज्यों में मनाया जाता है। इस दिन से हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। साथ ही नवरात्र पर्व की शुरुआत भी इसी दिन से होती है। गुड़ी पड़वा को फसल दिवस के रूप में मनाते हैं। मान्यता है कि इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण किया था।

उगादी - यह दक्षिण भारत का एक प्रमुख त्यौहार है, जिसे समवत्सरदी युगादी के नाम से भी जाना जाता है। यह कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना जैसे - राज्यों में नववर्ष के रुप में मनाया जाता है। चैत्र माह के पहले दिन पड़ने वाले इस त्यौहार को दक्षिण भारत में काफी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है, क्योंकि वसंत आगमन के साथ ही किसानों के लिए यह पर्व नयी फसल के आगमन का भी अवसर होता है।

बोहाग बिहू - यह भारत के असम और उत्तर-पूर्वी राज्यों में मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध त्यौहार है। इसे 'रोंगाली बिहू' या हतबिहू भी कहते हैं। यह असमी नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। आमतौर पर यह त्यौहार 13 अप्रैल को पड़ता है जो फसल कटाई के समय को दर्शाता है।

पोइला बोइशाख - हर साल चैत्र का महीना खत्म होते ही बंगाली नववर्ष मनाया जाता है, जिसे पोइला बोइशाख के नाम से जाना जाता है। इस साल बंगाली नववर्ष 15 अप्रैल 2021 से शुरू होने जा रहा है। ये वैशाख माह का पहला दिन होता है। इस दौरान बंगाली लोग एक दूसरे को नए साल की बधाई देते हैं।

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व :

  1.  इसी दिन के सूर्योदय से ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की।
  2.  सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य स्थापित किया। इन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत् का पहला दिन प्रारंभ होता है।
  3.  प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक का दिन यही है।
  4.  शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात् नवरात्र का पहला दिन यही है।
  5.  सिखो के द्वितीय गुरू श्री अंगद देव जी का जन्म दिवस है।
  6.  स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने इसी दिन आर्य समाज की स्थापना की एवं कृणवंतो विश्वमआर्यम का संदेश दिया।
  7.  सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावतार भगवान झूलेलाल इसी दिन प्रगट हुए।
  8.  राजा विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना। विक्रम संवत की स्थापना की ।
  9.  युधिष्ठिर का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ।
  10.  संघ संस्थापक प.पू.डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार का जन्म दिन
  11.  महर्षि गौतम जयंती।

भारतीय नववर्ष का प्राकृतिक महत्व :

  1.  वसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है, जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि से भरी होती है।
  2.  फसल पकने का प्रारंभ यानि किसान की मेहनत का फल मिलने का भी यही समय होता है।
  3.  नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं अर्थात् किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिये यह शुभ मुहूर्त होता है।

इस्लामी नव वर्ष :

इस्लामिक कैलेंडर का नया साल मुहर्रम होता है। इस्लामी कैलेंडर एक पूर्णतया चन्द्र आधारित कैलेंडर है, जिसके कारण इसके बारह मासों का चक्र 33 वर्षों में सौर कैलेंडर को एक बार घूम लेता है। इसके कारण नव वर्ष प्रचलित ग्रेगरी कैलेंडर में अलग - अलग महीनों में पड़ता है।


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